🌻 (1)मैत्री ब्रह्मविहार
यानि प्राणी दृश्य हों या अदृश्य, समीप के हों या दूर के, छोटे हों या बड़े, मनुष्य हों या मनुष्येतर; सभी प्राणियो के प्रति मंगल मैत्री का भाव।
उनके सुखी, स्वस्थ और दुःख मुक्त होने की, बन्धन मुक्त होने की मंगल कामना।
🌷 (2)करुणा ब्रह्मविहार
यानि किसी भी प्राणी को दुखी देखकर उसके प्रति करुणा जागे।
🌺 (3)मुदिता ब्रह्मविहार
यानि किसी भी प्राणी को सुखी देखकर, मुदित देखकर, उसके प्रति ईर्ष्या न जगाकर, उसके मोद में भागीदार बने।अपने मन को मुदिता के भाव से भरे।
🍁 (4)उपेक्षा ब्रह्मविहार
यानि किसी के द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने पर भी, उसके प्रति द्वेष न जगाकर चित्त की समता कायम रखते हुए, उपेक्षा का जीवन जीयें।
🌸सद्ग्रहस्थ इन चारो ब्रह्मविहारो का अभ्यास करते हुए अपना उत्तम मंगल साध लेता है।
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